Love Poetry
कुछ अनकही तो कुछ अधूरी रह गई,
कुछ ना समझे जज्बातो की दूरी रह गई ......
अब वो रिश्ता खामोश हो रहा है,
अब दरकार नही हमारी, ना याद रही,
शायद मेरी कमी भी किसी से पूरी हो गई......
कुछ अनकही तो कुछ अधूरी रह गई,
कुछ ना समझे जज्बातो की दूरी रह गई .....
बातो का सिलसिला यूं मंद पड़ा कि.
निस्बत क्या शिकायते भी गैरजरूरी रह गई ,
हूं मै इतना गलत और वो इतनी सही कि.
हम गैर और पूरी दुनिया जरूरी हो गई.....
कुछ अनकही तो कुछ अधूरी रह गई,
कुछ ना समझे जज्बातो की दूरी रह गई .....
2 comments
Click here for commentsAmazing
ReplyBahut kuch adhua h iss jindgi m
Replyspne adhure h jindgu bhi adhuri rah gai 😜😜
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